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दूध में दरार पड़ गई- अटल बिहारी वाजपेयी । Dudh Me Darar Pad Gayi - Atal Bihari Vajpayee

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी जिन्हें शायद ही कोई शख्स होगा जो नहीं जानता होगा..आज भी कहीं बातें पक्ष विपक्ष के लोग खासकर लेखक अमल करते हैं। वाजपेयी जी ने की कविताएं लोग बहुत पसंद करते हैं। हम पोस्ट में वही पेश कर रहें हैं। वायपेयी जी की बेहतरीन कविता दूध में दरार पड़ गई- अटल बिहारी वाजपेयी । Dudh Me Darar Pad Gayi - Atal Bihari Vajpayee

ख़ून क्यों सफ़ेद हो गया?
भेद में अभेद खो गया।
बँट गये शहीद, गीत कट गए,
कलेजे में कटार दड़ गई।
दूध में दरार पड़ गई।

खेतों में बारूदी गंध,
टूट गये नानक के छंद
सतलुज सहम उठी, व्यथित सी बितस्ता है।
वसंत से बहार झड़ गई
दूध में दरार पड़ गई।

अपनी ही छाया से बैर,
गले लगने लगे हैं ग़ैर,
ख़ुदकुशी का रास्ता, तुम्हें वतन का वास्ता।
बात बनाएँ, बिगड़ गई।
दूध में दरार पड़ गई।
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