लज्जा शायरी स्टेटस कोट्स हिंदी में उपलब्ध हैं जो व्यक्ति के आभाव, दुख और असमंजस को व्यक्त करने में मदद करते हैं। यह शायरी संग्रह आपको उन भावनाओं का सामना करने में मदद करेगा जो आपको लज्जा, असमंजस और दुख का अनुभव करवाते हैं। इस संग्रह में विभिन्न विषयों पर विभिन्न प्रकार की शायरी शामिल है, जैसे कि व्यक्तिगत जीवन, समाज, रिश्ते, अभाव और अन्य। इस ब्लॉग में, आप लज्जा शायरी स्टेटस कोट्स के मध्यम से आपके जीवन को दु:ख से भरपूर नहीं बल्कि सकारात्मकता से भर देंगे।
लज्जा नारी का गहना है,
यह केवल मूर्खों का कहना है,
तुम्हें लोगो की सोच को बदलना है
फ़क्र करे जहाँ वो काम करना है।
जिसने जीवन में किया शरम
और अन्धविश्वास को कहा धरम,
जो बात-बात पर हो जाए गरम,
उसको दुःख देता है उसका ही करम।
जो ना छलके वहीं लज्जा है,
नारी का श्रृंगार और सज्जा है,
जो छलके तो बिखर जाता है
आबरू होकर खुद में सिमट जाता है।
नारी की लज्जा वही तक अच्छी लगती है,
जहाँ तक वो उनकी तरक्की में बाधा न बने।
भोजन और विद्या ग्रहण करते वक़्त,
किसी को भी लज्जा नहीं करनी चाहिए।
जीवन में वही लोग अक्सर आगे बढ़ते हैं,
स्वयं की गलती स्वीकार ने में लज्जा नहीं करते है।
जब कोई लड़की लज्जा
त्याग देती है तो वह अपने
सौंदर्य का सबसे बड़ा
आकर्षण खो देती है।
प्रेमचंद
लज्जा का आकर्षण
सौंदर्य से भी बढ़कर है।
शेक्सपीयर
हृदय नग्न, तो सात
पटों के भी आवरण वृथा हैं;
वसन व्यर्थ; यदि भली-भांति
आवृति भीतर का मन है।
रामधारी सिंह ‘दिनकर’
सौंदर्य और सद्गुणों
का प्रसाद है लज्जा।
डिमेड्स
लज्जा वह तख्ती है
जिसे प्रकृति पवित्रता और
सम्मान के निवास स्थान
के बाहर लटका देती है।
गाट होल्ड
शर्म, हया, लज्जा तो सारे हिस्से उसके,
फिर भी माथे पर बदनामी की किस्से उसके,
जब कि बार-बार भेदी गई रूह उस की
फिर भी टूटकर जोड़ती रही परिवार किसकी?
अबला भी मैं, सबला भी मैं
शुद्ध भी मैं और अशुद्ध भी मैं
लज्जा भी मैं, लज्जित भी मैं
दुर्गा भी मैं, प्रकृति की शक्ति भी मैं।
तिरछी निगाहों से देखा और मुस्कुराई,
गजब की खूबसूरत लगी जब वो शरमाई।
लज्जा नहीं बची है अब किसी के नजर में,
झूठ का लबादा ओढ़े चलते है लोग सफर में।
शर्म, हया और लज्जा नारी का वो श्रृंगार है,
जिसके आगे दुनिया का हर आभूषण बेकार है।
लज्जा पर सुविचार अनमोल वचन
प्रतिभा के बिना
कड़ी मेहनत शर्म की बात है,
लेकिन कड़ी मेहनत के बिना
प्रतिभा एक त्रासदी है।
रॉबर्ट हाफ
लज्जा स्त्री का
बहुमूल्य आभूषण है।
कोल्टन
जो कुछ भी गुस्से में शुरू होता है,
वह शर्म पर खत्म होता है।
बेंजामिन फ्रैंकलिन
आपने मुझे बेवकूफ बनाया,
आपको शर्म आनी चाहिए।
दो बार बेवकूफ़ बना,
यह शर्म की बात है।
रान्डेल टेरी
लज्जा नारी के
चरित्र का दर्पण है।
जयशंकर प्रसाद