सुभाष चंद्र बोस(Subhash Chandra Bose)(जन्म 23 जनवरी 1897, मृत्यु 18 अगस्त 1945) - जिन्हें नेताजी के नाम से भी जाना जाता है, भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाने वाले सेनानियों में इनका नाम मुख्य रुप से लिया जाता है । आजादी की लड़ाई में अग्रेंजो का मुकाबला करने के लिए नेताजी ने जापान के साथ मिलकर आजाद हिन्द फौज का गठन किया था । आजादी के समय दिया गया इनका एक नारा बहुत ही प्रचलित है
"तुम मूझे खून दो मैं तुन्हे आजादी दूंगा"
आइये पढ़ते नेताजी सुभाष चंद्र बोस के प्रेरणादायी सुविचार
भारत में राष्ट्रवाद ने एक ऐसी
शक्ति का संचार किया है
जो लोगों के अंदर सदियों से
निष्क्रिय पड़ी थी ।
हमारा सफर
कितना ही भयानक और बदतर हो
फिर भी हमें आगे बढ़ते ही रहना चाहिए ।
सफलता का सफर लंबा हो सकता है,
लेकिन उसका आना अनिवार्य है ।
मेरे पास एक लक्ष्य है
जिसे मुझे हर हाल में पूरा करना हैं ।
मेरा जन्म उसी के लिए हुआ है !
मुझे नेतिक विचारों की धारा में नहीं बहना है ।
अपनी ताकत पर भरोसा करो,
उधार की ताकत
तुम्हांरे लिए घातक है ।
याद रखिए सबसे बड़ा
अपराध अन्याय सहना
और गलत के साथ
समझौता करना है ।
इतिहास में कभी भी
विचार-विमर्श से कोई
वास्तविक परिवर्तन
हासिल नहीं हुआ है।
अगर संघर्ष न रहे,
किसी भी भय का सामना न करना पड़े,
तब जीवन का आधा स्वाद
ही समाप्त हो जाता है ।
जीवन में प्रगति का आशय
यह है की शंका संदेह उठते रहें,
और उनके समाधान के
प्रयास का क्रम चलता रहे ।
संघर्ष ने मुझे मनुष्य बनाया,
मुझमे आत्मविश्वास उत्पन्न हुआ,
जो पहले मुझमें नहीं था ।
हमारा कार्य केवल कर्म करना हैं,
कर्म ही हमारा कर्तव्य है,
फल देने वाला स्वामी ऊपर वाला है ।
माँ का प्यार स्वार्थ रहित
और सबसे गहरा होता है,
इसको किसी भी प्रकार
नापा नहीं जा सकता ।